Thursday, January 31, 2013

देश में तलवार की धार पर प्रेस




वाशिंगटन, प्रेट्र : दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में शुमार भारत में पिछले कुछ साल के दौरान प्रेस की आजादी पर अंकुश बढ़ा है। हाल ही में जारी व‌र्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत नौ पायदान खिसककर 140वें स्थान पर पहुंच गया है। इंडेक्स तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले एक व्यक्ति के मुताबिक वर्ष 2002 से भारत में प्रेस पर लगाम कसने की कवायद बढ़ी है। वर्ष 2013 के लिए जारी सूची में पत्रकारों को आजादी के मामले में यूरोपीय देश फिनलैंड, नीदरलैंड्स और नॉर्वे सबसे ऊपर हैं। वहीं, तुर्कमेनिस्तान, उत्तरी कोरिया और इरीट्रिया लगातार तीसरे साल भी सूची में सबसे नीचे हैं। सूची में 140वें स्थान पर लुढ़कने वाला भारत एशिया में सबसे नीचे पहुंच गया है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2002 के बाद पत्रकारों पर गंभीर हमले और इंटरनेट सेंसरशिप में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वहीं, पत्रकारों पर हमला करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं करने के मामले भी सामने आए हैं। चीन एक स्थान उछलकर 173वें स्थान पर पहुंच गया है। चीन में कई पत्रकार और नेटीजन जेल में हैं। गैरसरकारी संगठन रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स द्वारा जारी प्रेस आजादी सूचकांक में राष्ट्रों की राजनीतिक प्रणाली पर प्रत्यक्ष टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन स्पष्ट किया गया है कि जिन देशों में सही व वास्तविक सूचनाएं उपलब्ध कराने वालों को बेहतर सुरक्षा दी जाती है, उन देशों में मानवाधिकार पूरी तरह सुरक्षित रहते हैं। एनजीओ के महासचिव क्रिस्टोफर डेलियर के मुताबिक, तानाशाहों वाले देशों में बिना लागलपेट के खबर मुहैया कराने वालों और उनके परिजनों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है, जबकि लोकतांत्रिक देशों में मीडिया को आर्थिक समस्याओं के कारण समझौता करना पड़ता है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत सहित वे तमाम देश सूची में नीचे खिसके हैं, जहां क्षेत्रीय मॉडल को तरजीह दी जाती है। दक्षिण एशिया में वर्ष 2012 के दौरान खबर व सूचनाओं से जुड़े लोगों के लिए माहौल तेजी से खराब हुआ है। मालदीव सूची में 30 स्थान लुढ़ककर 103वें स्थान पर पहुंच गया है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के इस्तीफे के बाद मीडियाकर्मियों को धमकी के साथ ही हिंसा का शिकार भी बनाया गया। पाकिस्तान (159वां स्थान), बांग्लादेश और नेपाल (118वां स्थान) में भी पत्रकारों की स्थिति बिगड़ती जा रही है।
  Dainik jagran National Edition 31-01-2013 page -014 (ehMh;k)