Saturday, September 22, 2012

सोशल मीडिया पर लगेगा सरकार का पहरा




ठ्ठ अंशुमान तिवारी, नई दिल्ली भारत में इंटरनेट और खासकर सोशल मीडिया पर सरकारी शिकंजा कसने जा रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की मंजूरियों के बाद फेसबुक और ट्विटर समेत इंटरनेट पर सूचनाओं, टिप्पणियों आदि को ब्लॉक करने की कार्ययोजना पर अमल शुरू हो गया है। सरकार के तकनीकी संस्थान और खुफिया एजेंसियां इस मोर्चे पर जुट गई हैं और इसकी कमान गृह मंत्रालय के हाथ में है। गृह मंत्रालय की अगुआई में विभिन्न मंत्रालयों की एक टीम साइबर स्पेस के इस्तेमाल के नियम लिख रही है। इन्हें जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा। इस व्यवस्था को कानूनी आधार देने के लिए सरकार सूचना तकनीक कानून में संशोधन भी करने जा रही है। मीडिया पर निगरानी की इस सबसे बड़ी मुहिम को करीब दो सप्ताह पहले सरकार में सर्वोच्च स्तर से मंजूरी दी गई है। असम हिंसा के दौरान अफवाहें फैलाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल इस फैसले की एक अहम वजह है। हाल में कई वेबसाइट और सोशल मीडिया नेटवर्क पर विभिन्न तरह के कंटेंट को लेकर सरकार ने आपत्ति जाहिर की थी और गूगल, फेसबुक आदि से जवाब तलब भी किया था। अब सरकार सीधी कार्रवाई की कार्ययोजना अमल में ला रही है। इसमें एक प्रभावी मॉनीटरिंग सिस्टम, कंटेंट ब्लॉक करने की क्षमता और जरूरी कानूनी इंतजाम शामिल होंगे। सरकार ने तय किया है कि वह विभिन्न ऑपरेटरों और वेबसाइट्स को पर्याप्त सूचना देने के बाद ही कंटेंट को ब्लॉक करेगी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की ओर से सोशल मीडिया पर निगरानी की कार्ययोजना तय करने वाली बैठक में सूचना तकनीक, दूरसंचार, इंटेलीजेंस ब्यूरो, एनटीआरओ, गृह मंत्रालय, डीआरडीओ सहित तकनीकी एजेंसियों ने हिस्सा लिया। इंटेलीजेंस ब्यूरो (आइबी), एनटीआरओ, सर्ट इन, नैटग्रिड जैसी एजेंसियां इंटरनेट और सोशल मीडिया की 24 घंटे निगरानी कर ऐसी सामग्री की पहचान करेंगी, जो दुर्भावनापूर्ण और कानून व्यवस्था के लिए खतरा बन सकती हैं।
दैनिक जागरण राष्ट्रीय संस्करण पेज -1,19-9-2012 मीडिया

जागरण समूह को मिला डॉ. केएन काटजू अवार्ड




ठ्ठजागरण संवाददाता, नई दिल्ली उर्दू को जन-जन तक पहुंचाने के लिए बुधवार को उर्दू हेरिटेज कारवां शुरू हुआ। इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित समारोह में भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने इसका एलान किया। इस अवसर पर इंकिलाब अखबार के जरिये उर्दू भाषा को अवाम तक पहुंचाने के प्रयास के लिए जागरण समूह को डॉ. कैलाश नाथ काटजू अवार्ड प्रदान किया गया। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने दैनिक जागरण के सीईओ व संपादक संजय गुप्त को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। समारोह में उपस्थित गणमान्य वक्ताओं ने उर्दू के विकास में जागरण समूह के इंकिलाब अखबार के किए कार्यो की सराहना की। वक्ताओं ने कहा कि जागरण समूह से उर्दू अखबार का निकलना भाषा के विकास और उसके प्रभाव को दर्शाता है। समारोह में उभरते शायर अजीम नबील को फिराक गोरखपुरी अवार्ड से सम्मानित किया गया। झारखंड के जमशेदपुर से आए अख्तर आजाद को सादत हसन मंटो अवार्ड दिया गया। केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि उर्दू किसी धर्म या जाति की भाषा नहीं है बल्कि अवाम की भाषा है। उन्होंने उर्दू हेरिटेज कारवां पहल की प्रशंसा की। उर्दू के विकास के लिए उसे रोजगार से जोड़े जाने की आवश्यकता जतायी। जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा कि भारत की मुख्य भाषा संस्कृत और उर्दू हैं। भाषा के विकास के लिए उर्दू हेरिटेज कारवां हैदराबाद, मुंबई और लखनऊ भी जाएगा। इसमें दिल्ली उर्दू अकादमी सहयोग दे रही है। इसके बाद संस्कृत कारवां शुरू किया जाएगा। समारोह में संसदीय मामलों के राज्यमंत्री राजीव शुक्ला, जर्मनी के राजदूत माइकल स्टेनर व उनकी पत्‍‌नी मौजूद थे।
दैनिक जागरण राष्ट्रीय संस्करण पेज -6,20-9-2012   ehMh;k

Tuesday, September 18, 2012

आतंकियों के बजाय मीडिया की निगरानी करेगी एनआइए



ठ्ठ नीलू रंजन, नई दिल्ली मुंबई हमले के बाद आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए विशेष रूप से बनाई गई राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) का जोर आतंकी गतिविधियों के बजाय मीडिया पर नजर रखना हो गया है। एनआइए देश भर में छपने वाले 130 अखबारों, 30 चैनलों समेत प्रमुख पत्रिकाओं व वेबसाइटों में छपी या दिखाई गई हर सामग्री की निगरानी करने की तैयारी में है। इस सिलसिले में उसने बाकायदा टेंडर जारी कर दिया है। ज्ञात हो सूचना व प्रसारण मंत्रालय हर महीने लाखों रुपये खर्च करके पहले से यह काम कर रहा है। एनआइए की वेबसाइट पर मौजूद टेंडर में साफ कहा गया है कि इसे पाने वाली एजेंसी को दिल्ली से प्रकाशित हिंदी व अंग्रेजी अखबारों के साथ-साथ रांची, जयपुर, कोलकाता, रायपुर, भोपाल, मुंबई, अहमदाबाद, चंडीगढ़, श्रीनगर, जम्मू, गुवाहाटी, पटना, लखनऊ, त्रिवेंद्रम, चेन्नई, हैदराबाद व भुवनेश्वर से प्रकाशित स्थानीय अखबारों में छपी खबरें दिन में दो बार सुबह 9:00 बजे और अपराहन 4:00 बजे एसपी व उससे ऊपर रैंक के सभी अधिकारियों को देनी होगी। पूर्वोत्तर के लोगों को पलायन के बाद केंद्र सरकार भले ही वेबसाइटों पर नजर रखने के लिए विशेष एजेंसी बनाने का विचार कर रही हो, लेकिन एनआइए ने अपने टेंडर में वेबसाइटों पर निगरानी की पूरी व्यवस्था कर ली है। इसके साथ ही वह 30 हिंदी, अंग्रेजी व विभिन्न भाषाओं में चलने वाले चैनलों की 24 घंटे मॉनीटरिंग चाहती है। टेंडर पाने वाली एजेंसी को चैनल पर चलने वाले क्लिप के साथ एनआइए को इसकी पूरी रिपोर्ट देनी होगी। जाहिर है कि एजेंसी को इसके लिए हर महीने लाखों रुपये खर्च करने होंगे। लेकिन अलग से मीडिया मॉनीटरिंग के पीछे एनआइए का उद्देश्य साफ नहीं है। उसका कोई भी अधिकारी इस मुद्दे पर बात करने के लिए तैयार नहीं है। ध्यान देने की बात है कि 26/11 के मुंबई हमले के बाद आतंकी हमलों की जांच के लिए विशेष रूप से एनआइए का गठन किया गया था। लेकिन पिछले तीन सालों में दिल्ली हाई कोर्ट धमाके को छोड़कर एनआइए को आतंकी