ठ्ठ अंशुमान तिवारी, नई
दिल्ली भारत
में इंटरनेट और खासकर सोशल मीडिया पर सरकारी शिकंजा कसने जा रहा है। प्रधानमंत्री
कार्यालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की मंजूरियों के बाद फेसबुक
और ट्विटर समेत इंटरनेट पर सूचनाओं, टिप्पणियों आदि को
ब्लॉक करने की
कार्ययोजना पर अमल शुरू हो गया है। सरकार के तकनीकी संस्थान और खुफिया एजेंसियां
इस मोर्चे पर जुट गई हैं और इसकी कमान गृह मंत्रालय के हाथ में है।
गृह मंत्रालय की अगुआई में विभिन्न मंत्रालयों की एक टीम साइबर स्पेस के
इस्तेमाल के नियम लिख रही है। इन्हें जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा। इस व्यवस्था
को कानूनी आधार देने के लिए सरकार सूचना तकनीक कानून में संशोधन भी
करने जा रही है। मीडिया
पर निगरानी की इस सबसे बड़ी मुहिम को करीब दो सप्ताह पहले सरकार में सर्वोच्च
स्तर से मंजूरी दी गई है। असम हिंसा के दौरान अफवाहें फैलाने के लिए
सोशल मीडिया का इस्तेमाल इस फैसले की एक अहम वजह है। हाल में कई वेबसाइट
और सोशल मीडिया नेटवर्क पर विभिन्न तरह के कंटेंट को लेकर सरकार ने आपत्ति
जाहिर की थी और गूगल, फेसबुक
आदि से जवाब तलब भी किया था। अब सरकार सीधी कार्रवाई की
कार्ययोजना अमल में ला रही है। इसमें एक प्रभावी मॉनीटरिंग
सिस्टम, कंटेंट
ब्लॉक करने की क्षमता और जरूरी कानूनी इंतजाम शामिल
होंगे। सरकार ने तय किया है कि वह विभिन्न ऑपरेटरों और वेबसाइट्स को पर्याप्त
सूचना देने के बाद ही कंटेंट को ब्लॉक करेगी। राष्ट्रीय
सुरक्षा सलाहकार की ओर से सोशल मीडिया पर निगरानी की कार्ययोजना तय
करने वाली बैठक में सूचना तकनीक, दूरसंचार, इंटेलीजेंस ब्यूरो, एनटीआरओ, गृह
मंत्रालय, डीआरडीओ
सहित तकनीकी एजेंसियों ने हिस्सा लिया। इंटेलीजेंस ब्यूरो
(आइबी), एनटीआरओ, सर्ट
इन, नैटग्रिड
जैसी एजेंसियां इंटरनेट और सोशल मीडिया की 24 घंटे
निगरानी कर ऐसी सामग्री की पहचान करेंगी, जो दुर्भावनापूर्ण
और कानून व्यवस्था के लिए खतरा बन सकती हैं।
दैनिक जागरण राष्ट्रीय संस्करण पेज -1,19-9-2012
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