Sunday, May 1, 2011

उत्तर-उपनिवेशवाद है यह तो


इसे मीडिया-उपनिवेशवाद तो नहीं कहा जा सकता लेकिन इतना कहा जा सकता है कि उसे फिरंगियों की जूठी पत्तल को परोसने और चाटने-चटाने का शौक खूब है। शायद यही मीडिया का उत्तर उपनिवेशवाद हो। यह बीमारी अपने अंग्रेजी छाप मीडिया में ज्यादा है। उनके हिंदी चैनलों पर भी इस बीमारी की छाया पड़ जाया करती है। जिस राजशाही को नेपाल में गिरते दिखाते हमारे मीडिया को जनतांत्रिक किस्म की प्रसन्न्ता होती दिखती है लेकिन ब्रिटेन की राजशाही को यथावत दिखाते वक्त वह राजशाही की व्यर्थता को याद नहीं कर पाता। विलियम और केट की शादी का लाइव कवरेज इस संदर्भ में उदाहरण की तरह देखा जा सकता है। यूरोप के हर देश के हर खबर चैनल के लिए यह शादी एक ऐसी 'महान घटना','बरस की शादी' और 'दशक की सबसे बड़ी शादी' रही जिसके एक-एक चरण को लगातार दिखाना एक बड़ा काम रहा। अमेरिकी सीएनएन तो शादी का ऐसा दीवाना रहा कि एक पल को अपने कैमरे न हटा सका। उस दिन उसके लिए दिन भर में दुनिया में और कुछ हुआ ही नहीं जर्मन टीवी डयूचे वेले के लिए भी यह शादी ऐसा ही अवसर रही। लेमन टीवी के लिए रही। फ्रेंच टीवी चैनलों के लिए यह लगातार दिखाने योग्य घटना रही। स्काई न्यूज और बीबीसी र्वल्ड इसे इस कदर दिखाने में दत्तचित्त रहे कि उनके लिए कोई पांच घ्ांटे दुनिया में कुछ और हुआ ही नहीं। अल जजीरा ने भी दिखाने के मामले में इनको टक्कर दी। लंदन के सबसे बड़ र्चच में शादी की रस्में पूरी हो रही थीं। उसमें सबसे बड़े बिशप ने यह जरूर कहा कि यह 'शादी दुनिया भर में देखी जा रही है'। आदरणीय बिशप तक मीडिया की ऐसी जोरदार उपस्थिति का नोट लेते पाए गए।र्चच से लेकर बकिंघम पैलेस के बाहर का बीस मिनट का बग्घी जुलूस को देखने वालों की संख्या बेशुमार रही। हाइड पार्क में लाखों की भीड़ रही। कोई पैंतालीस मिनट के बाद विलियम और केट को बकिंघम पैलेस के बालकनी में सबको दर्शन देने आना था। ये पैंतालीस मिनट उसी तरह से सब चैनलों ने गुजारे जिस तरह अपने चैनल गुजारा करते हैं। आए लेगों से बातचीत करते रहे। कौन कहां से आया है, उसके लिए इस शादी का क्या महत्त्व है? सब बताते रहे। लोग बाल-बच्चों समेत इस विवाह को देखने जाने कहां-कहां से आए थे। इससे पहले की रात के प्राइम टाइम पर स्काई चैनल ने कुछ रेडीकल लाइन लेने की कोशिश की। उसने कई विद्वान बुलाए और टिवट्र वोट चरचा की कि क्या अब ब्रिटेन में राजशाही की कोई सार्थकता बची है? क़ई ने कहा कि यह बेकार की खर्चीली व्यवस्था है। इस शादी को लकर जितना खर्चा हो रहा है। वह अकारथ जा रहा है। एक स्त्रीत्ववादी यास्मीन ने राजशाही के फालतू होने की जमकर खबर ली। 'साठ लाख पाउंड' के खर्चे के मुकाबले पांच लाख की कमाई पर फब्ती कसी। लेकिन किसी ने इसे निंदनीय नहीं कहा। टिवट्र पर सत्तर फीसद लोग शादी को इसी तरह देखने-दिखाने के पक्ष में रहे। तीस फीसद विपक्ष में रहे। अपने अंग्रेजी मीडिया में यह शादी अंग्रेजों की तरह ही महत्त्व पाती रही। यह अंग्रेजी से उसका नाभिनाल-बद्ध है। यों भी हमारा मीडिया यूरोप की किसी एलीटी खबर के लिए दीवाना हुआ रहता है। एक पूरी क्लास है जो अपने को अंग्रेजों की तरह ही दिखाया करती है। यकीन न हो तो अपने अंग्रेजी विज्ञापनों को देखें। यूरोपीय चैनलों के लिए तीसरी दुनिया के देश तभी खबर बनते हैं, जब वहां कोई हादसा हो जाता है या यूरोपीय नीति से उनकी नीति टकरा जाती है। अन्यथा यहां यूरोप में एशिया या दक्षिणी एशिया कोई खबर नहीं होते। आईपीएल का कवरेज अलबत्ता जरूर लाइव दिखता है। उसका भी कारण है। बहुत सारे फिरंगी खिलाड़ी आईपीएल से दाना-पानी पा रहे हैं। यूरोप में उनका कुछ मारकेट है। उनके होने के कारण आईपीएल कवरेज पाता है। भारतीय चैनलों के लिए शादी पहले से ही बड़ा आइटम है। उसका लाइव कवरेज बढ़िया मारकेटिंग अवसर की तरह है। आप शादी का नाम लीजिए। अपने चैनल लाइन लगाकर हाजिर हो जाते हैं। 'बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना' हुआ ही करता है। शादी का कवरेज अपने यहां पूरा धंधा है। 'हम आपके हैं कौन' से लेकर राखी का रियलिटी शादी शो और राहुल महाजन का शादी शो के बाद एक चैनल पर इन दिनों 'शादी तीन करोड़ की' लाइव रियलिटी शो की तरह आती है। सो विलियम और केट की शादी इसी भाव से आई है। इन दिनों अपने मीडिया में उपनिवेशवाद के कई पाठ बन रहे हैं। कई ऐसे उदाहरण बनते दिखते हैं जिन्हें उत्तर उपनिवेशवाद की तरह पढ़ा जा सकता है। विकीलीक्स मीडिया के सूचना के उपनिवेशी और उत्तर उपनिवेशी पाठ का मिक्सड अवसर देता है। इस संदर्भ में उन चुनिंदा 'रहस्योद्घाटनों' को याद किया जा सकता है जो दुनिया के देशों की कूटनीति के खुफिया प्रसंगों से संबद्ध रहे हैं। आरंभ में खबरें अमेरिका से संबद्ध रहीं फिर वे भारत-अमेरिकी सम्बन्धों पर आकर टिक गईं और अब वे स्विस बैंकों में भारतीयों के खातों की तलवार लटका कर एक प्रकार का ब्लेकमेलिया वातावरण बनाए हैं। असांजे ने एक चैनल पर कहा है कि उसके पास ऐसे कई बड़े भारतीय नामों की सूची है जिनका बहुत सा काला धन स्विस बैंकों में जमा है। पिछले डेढ़ महीने से रहस्योद्घाटन की यह तलवार लटकी है और अब तक गिराई नहीं गई है। अरे भई गिरानी है तो गिराओ नहीं तो बार-बार कह कर, समय देकर सावधान करना सौदेबाजी का दूसरा नाम हो सकता है। सौदा पटने पर कुछ लोगों के नामों की घोषणा रोकी भी जा सकती है। विकीलीक्स की खबरों को अपने चैनल किस तरह पेश करते हैं। यह देखते ही बनता है। वे अक्सर उसकी सूचनाओं को ब्रह्म वाक्य की तरह लेते हैं। यह औपनिवेशिकता नहीं तो क्या है कि एक गोरा आदमी जरा सी विपक्षवादी खबरें बनाता है तो सब उसे सच मानकर अपना पेट भरने लगते हैं।


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