Sunday, May 15, 2011

नया देहशास्त्र


एचटी सिटी के 14 मई के संस्करण में एमटीवी के ‘रोडीज’ नामक रीयलिटी शो कार्यक्रम पर एक सचित्र फीचर छपा है। उसने रोडीज के नए कपड़ा उतार स्टिपटीज शो के बारे में विस्तार से बताया है।’ प्रसारण के उदारीकरण के दौर में एमटीवी जब भारत में आया तो वह अंग्रेजी गानों का चैनल बना। उसे जल्दी ही महसूस हुआ कि भारत के दर्शक को अपनी ओर सिर्फ अंग्रेजी गानों से नहंीं खींचा जा सकता सो उसने बालीवुडीय गानों को दिखाना शुरू किया। अरसे तक ऐसा होता रहा। उसके बाद एमटीवी अपने असली स्वभाव पर आ गया। इन दिनों वह रोडीज में स्टिपटीज कल्चर को शह देने में लगा है। जिस फीचर का हमने शुरू में जिक्र किया है वह इस संदर्भ में कुछ चौंकाने वाली बातें बताता है, जिनसे यह साबित होता है कि एमटीवी अब अंग्रेजी हिंदी गानों से कहंीं ज्यादा एडवेंचर गेम्स और स्टिपटीज पर जोर देने लगा है। यह नया देहशास्त्र है, जिसका लक्ष्य देह के भोग की नई संस्कृति बनाना है। नई जीवन शैली का निर्माण करना है। एमटीवी पर आने वाले रोडीजरीयलिटी शो नई युवा पीढ़ी को नई जीवन शैली के पक्ष में फुसलाता है। नए पब्लिक स्कूली युवा-युवतियों को अपने कार्यक्रम में नायक-नायिका बनाता है। घर से बाहर सुनसान सड़कों पर आजाद बाइक सैर सपाटों और एडवेंचरों के बारे में बताता है। यह एडवेंचर के लिए मचलने वाले अकेले लड़के-लड़कियों के आपस में कनेक्ट करने, एक दूसरे को बरतने और सहने; जिसमें ढेर सारी बदतमीजियां भी शामिल रहती हैं, के आजाद तौर-तरीकों को नए जीवन मूल्य की तरह सामने रखता है। इस क्रम में एक नया एडवेंचर जोड़ा जाने लगा है-ऐन खुली सड़क पर कपड़े उतार कर नंगे होने की होड़ा-होड़ी ! एमटीवी रोडीज का यह नया आइटम है। ‘पुरुष देह’ का प्रदर्शन है। रोडीज में लड़के-लड़कियों का खुला संग-साथ, खुला व्यवहार दिखाने वाले कार्यक्रम भी आते रहे हैं लेकिन यह ‘मर्द कपड़ा उतार’ कार्यक्रम बिल्कुल नया है। नए मिडिल क्लास को इस सब में अपनी ‘लोअर मिडिल क्लासी झिझक को मिटाने की, नई ‘आउटिंग’ या ‘ऑफ साइड’ में रहने-सहने की ट्रेनिंग दी जाती है। घर बैठे दर्शक को यह सीख दी जाती है कि तुम अगर यह सब नहीं कर सकते तो तुम पिछड़े हुए हो। किसी काबिल नहीं हो। नए लड़के- लड़कियों की आजाद जिदंगी का मतलब है हालीवुडीय शो ‘यंग एंड रेस्टलेस या ‘फास्ट एंड पफ्यूरियस’ वाली जीवनशैली! नए किस्म की मोटरसाइकिलों पर तेजी से फर्राटे भरते बाइकर्स की जिदंगी हल्की तेज फर्राटेदार यूज एंड थ्रोवाली जिदंगी पूरा थिल्र देती है। उसमें मजा है। वह निर्बध है। महानगरों में ही नहीं मझोले और छोटे नगरों में भी ऐसे युवा आजकल नजर आने लगे हैं जो हर हाल में रोडीज की जिदंगी जीना चाहते हैं। रोडीज का ‘स्टिपटीज शो’ इस क्रम में नया आइटम है। यह सबके सामने एक के बाद एक कपड़े उतारने का शो है जिसे रोडीज का ‘टास्क’ कहा जाता है। इस आइटम की पहली बड़ी खबर तब बनी जब सन दो हजार नौ में पुणो में रोडीज के एक शो में ‘स्पर्धियों’ को ‘कपड़ा उतारू’ (स्टिपटीज) का टास्क दिया गया था। इसे रोडीज शो में खूब प्रचारित किया गया था। इस चक्कर में बहुत सारे लड़के-लड़की आ गए थे लेकिन कहते हैं कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लोगों के हल्ले ने रंग में भंग पैदा कर दिया। विवाद हुआ। इसी तरह रोडीज से सूफी मल्होत्रा नामक एक स्पर्धी की टांग के टूटने से विवाद भी पैदा हुआ जिसने बताया कि हिस्सा लेने वालों को एडवेंचर गेम्स कराए जाते हैं लेकिन उनकी हिफाजत का कोई खास बंदोबस्त नहीं होता। युवक-युवती रोडीज के मुफ्त के टीवी कवरेज के, आवारागीरी के, मौज-मजे के चक्कर में आ जाते हैं और दुर्घटनाग्रस्त होते रहते हैं। आपस में गाली-गलौज देना, गंदी से गंदी गालियों का उदारतापूर्वक आदान-प्रदान करना ‘नई मिडिल क्लासी’ कल्चर का नया आइटम है जिसे ‘रोडीज’ ने नए सिरे से बनाया है और युवा जीवन शैली की तरह प्रचारित किया है। लड़कियों से कहा जाता है कि वे मोटी मांसल गालियां दें ताकि कार्यक्रम की टीआरपी बढ़े। ऐसा ही आरोप इस कार्यक्रम में हिस्सा लेनी वाली लड़की गुरमीत कौर ने लगाए थे। ऐसे उदाहरण अक्सर खबर बनते रहते हैं। इस क्रम में जिसे लाइव शो ने सबसे ज्यादा चौंकाया है, वह ब्राजील में आयोजित किया गया। यह गत शनिवार की बात है। इस शो में तीन युवकों ने भाग लिया। इन्हें सबके सामने अपने कपड़े उतारने थे। इस काम के एक-एक लाख रुपए मिलने थे। आमंत्रित लोगों के सामने शो हुआ। तीनों ने स्टिपटीज शैली में अपने-अपने कपड़े उतारे। इसमें शामिल एक युवा सूरज ने एक लाख लेने से इनकार कर दिया। बाकी दो ने पैसे लिए लेकिन उनके हाव-भाव से यही झलकता रहा कि इस सबसे वे कुछ परेशान ही हैं। एक चित्रकार ने उनके नंगी देह के रेखाचित्र बनाए। आमंत्रित दर्शकों ने अपने अपने मोबाइलों पर उनकी फिल्में बनाईं। इस सबमें उन्हें खूब फजीहत महसूस हुई। दर्शकों ने उन पर फब्तियां कसीं। सुचित नामक एक हिस्सेदार को चिंता रही थी कि खबर लगने पर उसके माता-पिता क्या सोचेंगें? अगर कहीं ये वीडियो यूट्यूब पर पहुंच गए तो क्या होगा? भारतीय मिडिल क्लास के युवाओें के जगत को हजार तरीकों से खोला जा रहा है। युवा मेल स्टिपटीज इसी सांस्कृतिक उद्यम का हिस्सा है। अगला कदम मेल प्रोस्टीट्यूट मॉडल का निर्माण हो सकता है। विकासशील देश में टीवी कार्यक्रमों के ऐसे मॉडल विकासमूलक समाज की जरूरतों से मेल नहीं खाते लेकिन मनोरंजन चैनलों का अब तक का इतिहास बताता है कि उसे समाज की और उसके व्यक्ति की विकासमूलक सांस्कृतिक जरूरतों से कोई मतलब नहीं। कोई वास्ता नहीं। ऐसे तमाम कार्यक्रम विकास के एजेंडे और मनोरंजन के बीच बढ़ते अंतर्विरोधों के उदाहरण हैं। पश्चिम में एक जमाने में ‘फीमेल स्टिपटीज शो’ चले। इन दिनों मेल स्टिपटीज टीवी का नया देहशास्त्र है।‘जो वहां है सो यहां है’-टीवी की नकलची कल्चर का पुराना मुहावरा है। इसे दोहराया जा रहा है।

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