Sunday, March 27, 2011

हिंदी पत्रकारिता का वृहद इतिहास


आज के युवा पाठकों से दिनमान, धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सारिका, नीहारिका, माया, राष्ट्रवाणी, अणिमा, अमिता, कंचनप्रभा और रविवार के बारे में पूछा जाए तो उनमें से बहुतों ने तो शायद इनका नाम तक न सुना हो। एक समय था जब इन पत्र-पत्रिकाओं की धूम थी। इनमें किसी पाठक-लेखक का पत्र भी छप जाता, तो वह चर्चा का विषय बन जाया करता था। तब पत्रिकाएं इसी तरह लेखकों को जन्म भी दे दिया करती थीं, लेकिन अब उनमें से ज्यादातर अपनी भूमिका निभाकर विदा हो चुकी हैं। समय की जरूरत पूरी करने वाली इन पत्र-पत्रिकाओं के ऐतिहासिक अवदान को सहेजने-संभालने का बीड़ा उठाया वरिष्ठ पत्रकार और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अच्युतानंद मिश्र ने। उन्होंने चार खंडों में हिंदी के प्रमुख समाचारपत्र और पत्रिकाएं पुस्तक के माध्यम से यह काम बखूबी पूरा किया है। हिंदी भाषा की साप्ताहिक और दैनिक पत्रकारिता का अध्ययन करती इस शोध परियोजना की कड़ी में नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण, नई दुनिया, स्वतंत्र भारत तथा अमर उजाला पर आधारित शोधपत्र अमरेंद्रकुमार राय, शिवअनुराग पटैरिया, रजनीकांत वशिष्ठ, बच्चन सिंह तथा अभय प्रताप ने तैयार किए हैं। किताब के चौथे खंड में राजस्थान पत्रिका, युगधर्म, दैनिक भास्कर, देशबंधु, स्वदेश तथा प्रभात खबर का अध्ययन अचला मिश्र, अंजनीकुमार झा, सोमदत्त शास्त्री, डॉ. देवेशदत्त मिश्र, रामभुवन सिंह कुशवाह और जेब अख्तर ने आलेख लिखे हैं। 21 सितंबर, 1947 को कानपुर से दैनिक जागरण का प्रकाशन शुरू हुआ। इसके संस्थापक-संपादक पूर्णचंद्र गुप्त थे। बाद में उनके पुत्र नरेंद्र मोहन ने इसका संपादन भार संभाला और इसका बहुमुखी विकास किया। उनके बाद संजय गुप्त दैनिक जागरण के संपादक हैं। आज यह देश का सबसे बड़ा अखबार है। दैनिक जागरण शुरू होने के कुछ दिन बाद 18 अप्रैल, 1948 को अमर उजाला का प्रकाशन शुरू हुआ था। इस किताब के चौथे खंड में राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, देशबंधु, स्वदेश और प्रभात खबर के इतिहास के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है जो नई पीढ़ी के लिए प्रेरक जानकारियों से भरा है। इस शोध परियोजना में धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, दिनमान और रविवार जैसी पत्रिकाओं का चुनाव ठीक ही किया गया है, क्योंकि स्वातं˜योत्तर भारत की लगभग आधी सदी तक इन्हीं पत्रिकाओं के जरिये हिंदी पाठकों को मानसिक पोषण हासिल होता रहा। साप्ताहिक हिंदुस्तान का प्रकाशन लगभग 42 वर्ष तक हुआ, जिसका संपादन मुकुटबिहारी वर्मा, बांकेबिहारी भटनागर, रामानंद दोषी, मनोहरश्याम जोशी, शीला झुनझुनवाला, राजेंद्र अवस्थी तथा मृणाल पांडे ने किया। मनोहरश्याम जोशी ने इसे पत्रकारीय उत्कर्ष प्रदान किया था। सन 1950 में इलाचंद्र जोशी के संपादन में शुरू हुए धर्मयुग को बाद में धर्मवीर भारती जैसा यशस्वी संपादक मिला, जिसने लगभग 21 वर्ष तक इसका संपादन कर इसे हिंदी का सर्वाधिक लोकप्रिय साप्ताहिक बना दिया। किसी लेखक की मात्र एक कहानी-कविता धर्मयुग में छप जाने पर उसे अखिल भारतीय ख्याति मिल जाया करती थी। अज्ञेय के संपादन में सन् 1965 में समाचार और विचार की पत्रिका दिनमान का प्रकाशन शुरू हुआ था। विषयवस्तु, प्रस्तुति और मानक हिंदी भाषा के प्रयोग से दिनमान ने प्रतिष्ठा का शिखर छू लिया। साहित्य, संस्कृति, कला, संगीत, आधुनिक विचार के साथ राजनीति तथा समाज में घट रही घटनाओं पर विचारपरक टिप्पणियों के कारण दिनमान ने बौद्धिक दुनिया में खुद को स्थापित कर लिया था। अज्ञेय के बाद रघुवीर सहाय और कन्हैयालाल नंदन इसके संपादक बने। आपातकाल के बाद आनंद बाजार पत्रिका ने समाचार-विचार का साप्ताहिक पत्र रविवार शुरू किया, जिसे सुरेंद्रप्रताप सिंह ने बहुत कम समय में हिंदी की अत्यंत लोकप्रिय पत्रिका बना दिया। इससे हिंदी पत्रकारिता को नई दिशा और गति मिली। उदयन शर्मा, संतोष भारतीय, अरुणरंजन, संतोष तिवारी, स्वामी त्रिवेदी, नवेंदु, श्रीकांत तथा ईशमधु तलवार जैसे तमाम पत्रकारों को धार और धारा देने का काम उस समय रविवार ने ही किया था। इस किताब के दूसरे खंड से पता चलता है कि मार्च, 1920 से दैनिक आज का प्रकाशन वाराणसी से शुरू हुआ, जिसे बाबूराव विष्णु पराडकर ने अपने कुशल संपादन से प्रतिष्ठा दी। बाद में खाडिलकर, विद्या भास्कर, कमला प्रसाद त्रिपाठी, चंद्रकुमार, ईश्वरचंद्र सिन्हा, मोहन लाल गुप्ता तथा लक्ष्मीशंकर व्यास जैसे संपादकों ने इसे गति दी। इसी तरह 12 अप्रैल, 1936 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन के समय हिंदुस्तान का प्रकाशन शुरू हुआ। नागपुर से नवभारत का प्रकाशन सन् 1938 में अ‌र्द्धसाप्ताहिक के रूप में हुआ था, जिसे सन् 1939 में त्रिपुरी कांग्रेस अधिवेशन के समय दैनिक अखबार का रूप मिला, जो अब तक चल रहा है। राम नारायण चौधरी का नवज्योति सन् 1936 में अजमेर से मासिक पत्र के रूप में शुरू हुआ। बाद में साप्ताहिक हुआ और सन् 1948 से अब तक दैनिक के रूप में निकल रहा है। नवभारत टाइम्स का प्रकाशन सन् 1947 में शुरू हुआ था। सत्यदेव विद्यालंकार, अक्षयकुमार जैन, अज्ञेय, राजेंद्र माथुर, सुरेंद्र प्रताप सिंह, विष्णु खरे, विद्यानिवास मिश्र, सूर्यकांत बाली, रामकृपाल, विश्वनाथ सचदेव और मधुसूदन आनंद इसके संपादक हुए। 15 अगस्त, 1947 को लखनऊ से स्वतंत्र भारत का प्रकाशन शुरू हुआ। अशोक जी और योगेंद्रपति त्रिपाठी इसके संपादक रहे। एक समय अत्यंत लोकप्रिय रहा यह अखबार अब अपना तेज खो चुका है।


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