कई भाषाओं की जननी संस्कृत का एकमात्र दैनिक अखबार सुधर्मा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। संस्कृत में लोगों की घटती रुचि एवं विज्ञापनदाताओं की बेरुखी के कारण इस अखबार का प्रकाशन बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है। एक पन्ने के इस संस्कृत अखबार को मैसूर का एक संस्कृत प्रेमी परिवार दशकों से निकालता रहा है। यह संभवत: दुनिया का एकमात्र संस्कृत दैनिक अखबार है। तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद इसके संपादक संपथ कुमार और उनकी पत्नी ने इस मिशन को जारी रखने का फैसला किया है। हाल ही में दिल के दौरे के बाद दो महीने तक बिस्तर पर रहने वाले संपथ कुमार कहते हैं, तमाम बाधाओं के बावजूद हम इसका प्रकाशन जारी रखेंगे, क्योंकि यह हमारे लिए मिशन की तरह है। अखबार की प्रकाशक एवं संपथ कुमार की पत्नी जयालक्ष्मी कहती हैं, पीछे मुड़कर देखने का सवाल नहीं है। भले ही राज्य सरकार एवं डीएवीपी से हमें विज्ञापन नहीं मिलता हो, पर हम इस मिशन को इस मुकाम पर छोड़ने वाले नहीं है। संपथ ने बताया, इस अखबार के 4,000 ग्राहक हैं,
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