सूचना का अधिकार (आरटीआइ) आवेदनों के संबंध में कार्मिक विभाग के सुझावों को अगर स्वीकार कर लिया गया तो ऐसे आवेदनों को 250 शब्दों तथा एक विषय तक सीमित करना होगा। आरटीआइ नियमों में प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार नोडल निकाय कार्मिक विभाग ने कहा है कि ऐसे आवेदनों में 250 शब्दों की सीमा होनी चाहिए। इनमें अधिकारी और आवेदक के पते शामिल नहीं होंगे। इसके अलावा आवेदन में सिर्फ एक ही विषय होगा। सूचना मुहैया कराने के लिए किसी उपकरण के इस्तेमाल पर प्राधिकार की ओर से खर्च जाने वाली वास्तविक राशि भी आवेदक को देनी होगी। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने प्रस्तावित परिवर्तन पर आम लोगों की प्रतिक्रिया मांगी है। प्रतिक्रियाएं 27 दिसंबर तक दी जा सकेंगे। इसके लिए ईमेल आईडी भी जारी की गई है। इन नियमों से आरटीआइ आवेदकों में नाराजगी है। उनका कहना है कि कम पढ़े लिखे लोगों को इससे सुविधा नहीं होगी। कामोडोर (अवकाशप्राप्त) लोकेश बत्रा के अनुसार प्रतिक्रियाएं देने के लिए काफी कम समय दिया गया है और उन्हीं लोगों को मौका मिलेगा जो इंटरनेट का उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों के उन लोगों को अपने विचार व्यक्त करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा जिनकी पहुंच इंटरनेट तक नहीं है। एक अन्य आरटीआइ आवेदक सुभाष अग्रवाल ने कहा कि शब्दों की सीमा 250 तक तय करने से सूचना के अधिकार में बाधा आएगी। उन्होंने कहा कि आवेदनों में शब्दों की सीमा तय करने की कोई जरूरत नहीं थी।
No comments:
Post a Comment