Friday, June 17, 2011

खबरनवीसों को देश में नहीं मिल पाता इंसाफ


पत्रकारों की मौत की गुत्थी न सुलझा पाने वाले देशों में भारत का 13वां नंबर
अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्था की ओर से बनाए गए माफी सूचकांक 2011 के अनुसार पत्रकारों की हत्या की गुत्थी न सुलझा सकने वाले देशों में भारत 13वें स्थान पर है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान 10वें और बांगलादेश 11वें स्थान पर है। मुंबई में वरिष्ठ पत्रकार जे.डे की हत्या के साथ ही पत्रकारों की हत्या से जुड़े मामलों के नहीं सुलझने की बात एक बार फिर सामने आ गई है। सूचकांक में ऐसे 13 देशों को शामिल किया गया है जहां एक जनवरी 2001 से 31 दिसंबर 2010 के बीच हुए पत्रकारों की हत्या के पांच या ज्यादा मामले अनसुलझे हैं। कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सात अनसुलझे मामलों के साथ 13वें स्थान पर है। सीपीजे के अनुसार एक साल में पूरी दुनिया में होने वाले कार्य संबंधी हत्याओं में 70 प्रतिशत मामले पत्रकारों के हैं। सूचकांक में पत्रकारों की हत्या की अनसुलझी गुत्थियों का प्रतिशत वहां की जनसंख्या के अनुपात में निकाला गया है। सूचकांक में ऐसे मामलों को अनसुलझा माना गया है जिसमें अभी तक कोई आरोपी पकड़ा नहीं गया है। सूचकांक के मुताबिक इराक पहले स्थान पर है। तीन साल में मारे गए 247 पत्रकार पाकिस्तानी पत्रकार सलीम शाहजाद और भारत के जे डे की हत्या भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ अभिव्यक्ति के सिद्धांत पर अमल करते हुए हुई। डे और शाहजाद इस मुहिम में अकेले नहीं रहे। यूनेस्को की रिपोर्ट के मुताबिक 2006 से 2009 तक दुनिया में 247 पत्रकार सूचना क्रांति को आगे बढ़ावा देते हुए कुर्बान हुए। इन तीन सालों के दौरान भारत में छह पत्रकार मारे गए। विश्वभर की बात करें तो पत्रकारों की हत्या सबसे अधिक 29 इराक, छह फिलिपीन, दो भारत, दो पाकिस्तान, तीन अफगानिस्तान, तीन रूस और चार श्रीलंका में हुई। साल 2007 में सबसे अधिक 33 पत्रकार इराक में मारे गए, जबकि सोमालिया में सात, अफगानिस्तान में दो और ब्राजील, तुर्की, मैक्सिको में एक-एक पत्रकार कुर्बान हुए।

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