Wednesday, June 15, 2011

ये पूर्वाभास तो नहीं था जे डे का


मुंबई अपराध की खबरों पर काम करने वाले संवाददाताओं को अक्सर पुलिस और अपराधियों की दोधारी तलवार पर चलना पड़ता है। ऐसे में जिंदगी के साथ हमेशा सब कुछ ठीकठाक ही रहेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं होती। शायद ऐसा ही कुछ पूर्वाभास जे डे को भी पिछले कुछ समय से होने लगा था। पिछले माह मिड डे के ही एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार ताराकांत द्विवेदी अकेला को एक फर्जी मामले में रेलवे पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था। इस मामले की पैरवी के लिए सुबह 9:30 बजे राज्य के गृहमंत्री आरआर पाटिल से मिलने जाना था। पड़ोसी होने के कारण हम और जे डे एक ही गाड़ी में गृहमंत्री के यहां जाने के लिए निकले। रास्ते में कई मसलों पर बात करते हुए जे डे ने वह घटना भी बताई, जब उन्हें लगा था कि अंडरव‌र्ल्ड से जुड़े एक व्यक्ति से बातचीत करते हुए उसके साथ-साथ कोई उन्हें भी न गोलियों से छलनी कर दे। जे डे की पैठ देश के दो प्रमुख अंडरव‌र्ल्ड समूहों दाऊद एवं छोटा राजन के यहां समान रूप से थी।उनके अनुसार वह कभी-कभी खोजी खबरें निकालने छोटा राजन एक सहयोगी के घर जायाकरते थे। एक बार चेंबूर स्थित उस सरगना के घर जाने पर ग्राउंड फ्लोर स्थित उसके घर का दरवाजा खुला हुआ था और वह अपने बेडरूम में गोद में तकिया रखकर क्ति्रकेट मैच देख रहा था। जे डे के वहां पहुंचने पर उस सरगना ने उन्हें भी अपने बेडरूम में ही बुला लिया और उनसे क्रिकेट की बातें करने लगा। क्रिकेट में रत्ती भर भी दिलचस्पी न होने के बावजूद जे डे खबर निकालने के चक्कर में वहां बैठे उसकी हां में हां मिलाते रहे और सोचते रहे कि यदि अभी इस सरगना के विरोधी गैंग का कोई व्यक्ति आकर इस पर गोलियां चलाना शुरू कर दे तो इसके साथ-साथ बेवजह मुझे भी मरना पड़ेगा। जे डे के अनुसार सामान्यत: अपने कार्यो की चर्चा अपने परिवार से न करने के बावजूद उन्होंने मन में आई यह बात उस दिन घर लौटने पर अपनी पत्‍‌नी से भी बताई। फिर दोनों इसे मन का भ्रम समझकर हंसते रहे। यह बात और है कि वह सरगना कुछ दिनों बाद उसी बेडरूम में अपने विरोधियों की गोली का शिकार हो गया था, और शनिवार जे डे की जीवनलीला भी गोलियों से ही समाप्त हुई, भले ही घटनास्थल बदल गया था।

पत्रकारों ने मुंबई पुलिस को आड़े हाथों लिया
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में वरिष्ठ पत्रकार ज्योति डे (जे डे) की हत्या पर पत्रकार संगठनों ने आरोप लगाया कि पुलिस और अंडरव‌र्ल्ड के बीच साठगांठ इस हत्या की वजह हो सकती है। मुंबई मराठी पत्रकार संघ के अध्यक्ष प्रसाद मोकाशी ने कहा कि हम ज्योति डे की हत्या की निंदा करते हैं। उन्होंने पुलिस और अंडरव‌र्ल्ड की साठगांठ को बेनकाब करने का प्रयास किया और आज उन्हीं खुलासों के वह शिकार हो गए। मुंबई पुलिस और अंडरव‌र्ल्ड से चल रहा है और यहां कानून व्यवस्था नहीं है। हम पुलिस आयुक्त के इस्तीफे की मांग करते हैं क्योंकि वह शहर में अपराध दर काबू में नहीं ला सके। टेलीविजन पत्रकार संघ के अध्यक्ष शशिकांत संधबोर ने कहा कि ज्योति डे की हत्या से यह साबित हो गया है कि शहर में की पुलिस और अंडरव‌र्ल्ड में साठगांठ है। उन्होंने दाऊद इब्राहीम, छोटा राजन और अन्य पर कई खबरें की थी। हम मांग करते हैं कि गृहमंत्रालय इसकी गहन जांच कराए। इसके साथ ही उसे अतीत के उन मामलों पर एक रिपोर्ट सामने लानी चाहिए कि जिनमें पत्रकारों पर हमले हुए और उनकी जांच की स्थिति क्या है।

एडिटर्स गिल्ड ने हत्या की निंदा की
मुंबई में जाने माने खोजी पत्रकार जे डे की हत्या की निंदा करते हुए एडिटर्स गि‌र्ल्ड ऑफ इंडिया ने शनिवार को महाराष्ट्र सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की कि हत्यारों को इंसाफ के कठघरे में लाया जा सके। गिल्ड के अध्यक्ष टीएन नाइनन और महासचिव कूमी कपूर ने यहां जारी एक बयान में कहा कि एडिटर्स गिल्ड अपनी जान जोखिम में रखकर अपनी पेशेवर ड्यूटी में लगे पत्रकार की जिंदगी की रक्षा करने में कानूनी एजेंसियों की अक्षमता की निंदा करता है। दोनों ने कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट से लगता है कि इस हत्या के पीछे माफिया का हाथ हो.



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