Tuesday, June 28, 2011

जे डे हत्याकांड : सुपारी से गिरफ्तारी तक


 दैनिक जागरण समूह के अंग्रेजी अखबार मिड डे के इंवेस्टिगेशन एडीटर जे डे की हत्या अंडरव‌र्ल्ड डॉन छोटा राजन के निर्देश पर उसके शूटर सतीश कालिया ने की। इस हत्याकांड की सुपारी से गिरफ्तारी तक की साजिश पर पेश है एक नजर : उ साजिश की शुरुआत : अंडरव‌र्ल्ड सरगना छोटा राजन ने जे डे की हत्या वाले दिन के करीब 20 दिन पहले अपने पुराने शूटर रोहित थंगप्पन जोसेफ उर्फ सतीश कालिया को फोन करके मुंबई के एक व्यक्ति को मारने की सुपारी दी। उ मिले धन और गन : छोटा राजन के निर्देशानुसार कालिया ने इस अंडरव‌र्ल्ड सरगना की गुफा माने जाने वाले चेंबूर क्षेत्र में जाकर किसी व्यक्ति से दो लाख रुपये लिए। अगले ही दिन हथियार लेने के लिए वह उत्तराखंड के काठगोदाम के लिए रवाना हो गया। वहां उसे किसी व्यक्ति से .32 बोर की चेक गणराज्य निर्मित रिवाल्वर और 25 जिंदा कारतूस प्राप्त हुए। इन्हें लेकर वह मुंबई लौटा। उ बनाई टीम : मुंबई में उसने अपने एक पुराने साथी अनिल वागमोड़े से संपर्क कर उसे आगे के काम के लिए टीम बनाने की जिम्मेदारी सौंपी। वागमोड़े ने नीलेश शेंडगे उर्फ बबलू को योजना में शामिल किया और उसके संपर्क से शूटर अरुण डाके, सचिन गायकवाड़, अभिजीत शिंदे और मंगेश अगावने को भी टीम में शामिल किया गया। उ लक्ष्य की जानकारी : 6 जून को छोटा राजन ने पुन: सतीश कालिया को फोन कर उसे टारगेट की मोटरसाइकिल का नंबर दिया। उसने बताया कि वह एक भरी-पूरी कद-काठी वाला व्यक्ति है और चश्मा लगाता है। साथ ही, उसके दो स्थानों परेल स्थित पेनिन्सुला (मिड डे के कार्यालय वाला क्षेत्र) और पवई में हीरानंदानी कालोनी (जे डे का घर का इलाका) पर मिलने की जानकारी भी दी। अभी तक इन लोगों को टारगेट के नाम और पेशे की जानकारी नहीं दी गई। उ टारगेट की हुई पहचान : सतीश ने 7 जून को ये सारी जानकारियां अनिल वागमोड़े को देकर उसे मिड डे कार्यालय के बाहर जे डे की पहचान करने के लिए भेजा। करीब 2:00 बजे जे डे ने आकर अपनी मोटरसाइकिल खड़ी की और कार्यालय के अंदर चले गए। शिकार पहचाना जा चुका था। उ पहचान की गई पुख्ता : शिकार की पहचान पुख्ता करने के लिए 8 जून को सतीश कालिया स्वयं अनिल के साथ पेनिन्सुला सेंटर गया। फिर से जे डे और मोटरसाइकिल की पहचान हुई, लेकिन पेनिन्सुला सेंटर के आसपास भीड़भाड़ के चलते उन्हें मारने की योजना त्यागनी पड़ी। उ नहीं मिला मौका : 9 और 10 जून को हत्यारी टीम के सातों लोग तीन मोटरसाइकिलों एवं एक क्वालिस गाड़ी से दो दिन हीरानंदानी क्षेत्र के चक्कर काटते रहे, लेकिन वहां उन्हें जे डे नजर नहीं आए। उ कत्ल का दिन : शनिवार, 11 जून को हत्यारों की चार टीमों में एक को जे डे अपने घाटकोपर वाले घर के पास लालबहादुर शास्त्री रोड पर नजर आ गए। इस टीम ने बगैर मौका गंवाए अपनी बाकी साथियों को सूचित करते हुए इनका पीछा करना शुरू किया। भीड़भाड़ की वजह से हत्यारों ने यहां भी इन्हें मारने का इरादा त्याग दिया। यहां से मोटरसाइकिल लेकर जे डे आइआइटी मेन गेट के सामने एक कूरियर की दुकान पर गए। पीछे लगे हत्यारों को यहां भी अधिक भीड़ एवं सामने ही पुलिस चौकी होने के कारण मारने का इरादा छोड़ना पड़ा। यहां से निकलकर जे डे अपने घर की ओर चले। जैसे ही वह क्रिसिल हाउस के बाईं ओर घूमे, एक मोटरसाइकिल पर पीछे बैठे सतीश कालिया की मोटरसाइकिल उनके नजदीक पहुंची और उसने पीछे से उन पर पांच गोलियां झोंक दी। उ हत्या के बाद : हत्याकांड को अंजाम देने के बाद सभी हत्यारे अपनी टीम के एक सदस्य मंगेश अगावने के जोगेश्वरी स्थित घर पहुंचे। यहीं टेलीविजन पर खबर देखकर उन्हें पहली बार पता चला कि वह किसी बड़े पत्रकार को मारकर आ रहे हैं। उ परेशान हुए हत्यारे : सतीश कालिया ने छोटा राजन को फोन कर मुंबई में शुरू हो चुके हंगामे की जानकारी दी। साथ ही यह शिकायत भी की कि उसने जे डे के पत्रकार होने की जानकारी पहले क्यों नहीं दी? उ मिला आश्वासन : छोटा राजन ने उसे निश्चिंत रहने एवं सबकुछ संभाल लेने का आश्वासन देते हुए ठाणे जनपद स्थित नालासोपारा से तीन लाख रुपये लेने और मंुबई से बाहर निकल जाने के निर्देश दिए। इसके बाद दो हत्यारे जोगेश्वरी में ही रुके रहे। शेष पांच क्वालिस से नालासोपारा गए। वहां से तीन लाख रुपये लेकर ये पांचों गुजरात के पावागढ़, महाराष्ट्र के शिरडी, अक्कलकोट, कर्नाटक के यादगिरी, बेंगलूर और तमिलनाडु में मदुरई होते हुए रामेश्वरम् जा पहुंचे। लेकिन बबलू सोलापुर में रुक गया, जबकि अरुण भी बीच से ही मंुबई लौट आया। उ हुई गिरफ्तारी : मुंबई पुलिस ने अपने खबरियों से मिली सूचना एवं इन सभी हत्यारों के मोबाइल फोन के जरिए पिछले चार दिनों के अंदर रामेश्वरम् से सतीश कालिया, अनिल वागमोड़े एवं अभिजीत, मुंबई से मंगेश अगावने, सचिन गायकवाड़ एवं अरुण डाके तथा सोलापुर से निलेश शेंडगे उर्फ बबलू को गिरफ्तार कर लिया|

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