Friday, February 11, 2011

प्रेस एवं पुस्तक पंजीकरण कानून संशोधन के प्रस्ताव को हरी झंडी


केंद्र सरकार ने प्रेस एवं पुस्तक पंजीकरण कानून 1867 में व्यापक संशोधन करने का फैसला किया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में यहां बृहस्पतिवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में वर्षों पुरानी प्रक्रि या को चुस्त बनाने और प्रिंट मीडिया नीति के कुछ मुद्दों से निपटने के लिए प्रेस एवं पुस्तक पंजीकरण कानून 1867 में व्यापक फेरबदल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने बैठक के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित प्रेस और पुस्तक एवं प्रकाशन पंजीकरण विधेयक 2010 में प्रकाशन, समाचारपत्र, पत्र पत्रिका एवं न्यूजलेटर आदि जैसी कई नई परिभाषाओं को शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित विधान के तहत आतंकवादी कार्रवाइयों या राष्ट्र की सुरक्षा के खिलाफ किए गए किसी कार्य के लिए दोषी व्यक्तियों को कोई भी प्रकाशन लाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। सोनी ने बताया कि पुराने कानून में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं था। यह व्यापक विधेयक जल्द ही संसद में लाया जाएगा। यह व्यापक विधान शीर्षक की जांच पड़ताल, अखबारों के इंटरनेट संस्करणों सहित प्रकाशनों की परिभाषा और अगंभीर प्रकाशकों को हतोत्साहित करने के लिए शीर्षक को रोके रखने पर रोक और विदेशी समाचार सामग्री और विदेशी निवेश की सीमा जैसे मुद्दों से निपटेगा। प्रस्तावित विधेयक के तहत शीर्षक आवंटित होने के एक वर्ष के अंदर प्रकाशन शुरू कर देना पड़ेगा। शीर्षक के पंजीकरण के बारे में मेनन ने बताया कि लंबे समय से इस्तेमाल नहीं हो रहे शीर्षकों को आरएनआई ही रोक देगी।

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